tag:blogger.com,1999:blog-2949228965912421026.post3871766716977223945..comments2023-10-16T19:13:59.954+05:30Comments on दीपक भारतदीप का चिंतन: दिन और रात के पलdpkrajhttp://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2949228965912421026.post-68112595261386734452007-08-04T02:01:00.000+05:302007-08-04T02:01:00.000+05:30दीपक जी,बहुत बढिया रचना है।दिनभर मधुर स्वरों कोसुन...दीपक जी,बहुत बढिया रचना है।<BR/><BR/>दिनभर मधुर स्वरों को<BR/>सुनते हुए थके <BR/>और कुछ कटु शब्दों से फटे कान<BR/>अब अपने मन की<BR/>आवाज सुन सकते हैं<BR/>अब सुनना चाहते हैं कि<BR/>कौन है जिसने<BR/>दिन के पलों को बेकार कियापरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com