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3/4/16

बिना शास्त्र के भलाई यज्ञ-हिन्दी कविता(Bina Shastra ke Bhalai Yagya-Hindi Kavita)

पुरानी किताबों से 
मन में बैर था
नयी घर लाये।

दिमाग खाली था
उधार में पुरानी सोच
नयी समझकर भर लाये।

कहें दीपकबापू ज्ञान से
अहंकारी रखें बैर
बिना शास्त्र के करें
भलाई का यज्ञ
फल से अधिक
हानि का डर लाये।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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