समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/10/13

हादसे का डर-हिन्दी लघुकथा तथा हास्य कविता (hadse ka dar-hindi laghu katha tatha haasya kavita,short hindi story and comic poem)



     सड़क पर पैदल चल रहे उन सज्जन को कार ने टक्कर मार दी तो वह जमीन गिर पड़े। कार में एक युवक युवती का जोड़ा बैठा हुआ था। कार से उतरकर  युवती उन सज्जन के पास आयी और सहमते हुए बोली-‘‘सॉरी अंकल, आपको चोट तो नहीं आयी।
     उधर से युवक भी निकल आया और गिरे हुए सज्जन को उठाने लगा। सज्जन ने उस लड़के से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा-‘‘नहीं आप दोनों जाईये। शायद गलती मेरी भी थी। सड़क के एकदम किनारे चलना चाहिये था।’’
      युवक ने कहा-सर, अगर आपको चोट आई हो तो हम अस्पताल ले चलें।  कार तो मैं सावधनी से धीरे चला रहा था, पर पता नहीं  मेरे से यह गलती कैसे हो गयी?
          सज्जन कवि किस्म के थे और बोले-‘‘जो हो गया सो हो गया।  अलबत्ता एक कविता तुम्हें सुना देता हूं-
जान जाने का मुझे डर नहीं है
मगर सड़क पर हादसे से बचता हूं,
घर पर ही लाश हो जाऊं चिंता नहीं
चौराहे पर मेरी अर्थी लेकर कोई सजाये,
अपनी छवि समाजसेवक की तरह चमकाये,
इससे  हमेशा डरता हूं।
देखा है मैंने
हादसों पर लोग बस यूं ही रोते हैं,
मिल जाये प्रचार
इसलिये अपने चंद आंसुओं से अपना
झूठा गम ढोते हैं,
जिंदा किसी काम का नहीं रहा
मरकर कीमती न बनूं
कोशिश यही करता हूं।’’
     वह दोनों युवक युवती मुस्कराते हुए वहां से चले गये।
     सज्जन ने आसमान की तरफ देखा और होठों में बुदबुदाये-
कमबख्त!
क्या जमाना आ गया है,
लाशों पर भी सौदागरों को
कमाना आया गया है,
जिंदा हाथी लाख का
मरा सवा लाख
कहावत हो गयी पुरानी
करोड़ो का जमाना आ गया है।
----------------------------



लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका

No comments:

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें