भूखे हो तो रोटी
खुद तुम्हें जुटानी होगी,
बीमार हो तो तुम्हें अपनी दवा
खुद जुटानी होगी,
अगर घर से निकले बाहर
अपनी जरूरत पूरी करने के वास्ते,
ख्वाबों का बाज़ार सजा मिलेगा पूरे रास्ते,
सौदागरों को पैसा दो या बेचो पसीना
कोई तुम्हारा मालिक नहीं है
सभी हैं खून के भोगी।
कहें दीपक बापू
कोई नारे लगा रहा है,
कोई कागज पर शब्द नचा रहा है,
ज़माने का भला करने के लिये
जुलूस रोज निकल रहे हैं,
जिन्होंने कभी झंडे उठाकर
शिखरों पर सजा दिये बुत
खाली हाथ रहे उनके
दिल अभी तक जल रहे हैं,
न लूटे पैसा,
न मांगे पसीना,
न कभी खून चूसे
दर्द दूर करे सभी का
ऐसा होता है सदियों में कोई योगी।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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3 comments:
योगी होना आसान नहीं ....
योगी होना आसान नहीं ....
Yog mahatwapurna hai
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