समय बलवान है ताकतवर इंसान यह बात नहीं मानते,
हैरान होते हैं वही जो समय के बदलते रंग नहीं जानते।
तख्त पर बैठते ही घमंड कर देता है सभी को बदहवास,
आंखें ऊपर कर चलते नहीं दिखता छोटा आदमी खड़ा जो पास,
ज़मीन की थोड़ी हलचल पर कांपते वही जो कहलाते लोग बड़े,
चेहरे की रंगत फीकी पड़ जाती जब समय दिखाता तेवर कड़े,
गर्मी की दोपहर में तपती धूप से कभी पड़ा नहीं जिनका
वास्ता,
वातानुकूलित महल बनाये गरीब बंदों की सेवा का लेकर
रास्ता,
कहें दीपक बापू अपने फरिश्ते होने की खुशफहमीं पालते
कुछ लोग,
उनके पतन पर जहान के आम लोग खुशी में अपनी मुट्ठी
तानते।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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