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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

1/11/14

आम दरबार-हिन्दी व्यंग्य कविता(aam darbar-hindi vyangya kavita)



 लोगों ने बनाया है राजा
आम दरबार तो जरूर लगायेंगे,
मसले हल होना कठिन है
 फिक्रमंद होने का अहसास वह यूं ही जतायेंगे।
कहें दीपक बापू
नया जमाना आ गया है
तख्त पर बैठने के लिये
काबलियत होना जरूरी नहीं है,
चंद नारे लगाकर,
पुराने वादों से नये सपने जगाकर,
लोगों को भरमा ले कोई
भीड़  पहुंच जाती वहीं है,
जब तक उम्मीदों का आसमान रहेगा,
चांद तारे जमीन पर लाने की
हर आशिक माशुका से कहेगा,
बादशाह और आम इंसान की
जिंदगी की राहों में फर्क होता है,
एक गलती कर मुस्कराता है
दूसरे का बेड़ा गर्क होता है,
ज़माने की हुकुमत संभालें हैं जो लोग
मस्त रहेंगे तख्त पर बैठकर
जनता को नये सपने रोज दिखायेंगे
अपना दिल यूं ही बहलायेंगे।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 

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