कभी सुनते थे देशभक्ति के गाने तो
झूम उठते थे दिल हमारे
पर मतलब नहीं समझा था
आज समझ से परे हो गया है
देश और समाज भक्ति का मतलब
जब देखते हैं जिन पर जिम्मा है
समाज चलाने का
उनके लिए अपने काम का मतलब हैं
स्वयं के हित साधना
ओर अपने लिए पैसा जुटाना
अमीर के इशारे पर घूमता है
समाज के कायदे का डंडा
गरीब सरे राह कुचला जाता है
बाहुबली के इशारे पर चलता है समाज
बेबस का सिर मुफ़्त में कलम किया जाता है
कोई देश और समाज भक्ति क्या दिखायेगा
सभी गरीब और बेबस होने के
भय से जूझ रहे हैं
देश और समाज भक्ति के शोपीस में
गरीबी और बेबसी का
कबाडा रखा नहीं जाता
देश और समाज भक्ति का मतलब
फिर भी हमारे समझ नहीं आता
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देश को खतरा किस से है
चीन, अमेरिका या पाकिस्तान से
दोस्ती किस से है
ब्रिटेन, ईरान या अफगानिस्तान से
जब देखते है तो लगता है
अब कहीं से कोई खतरा नहीं है
अपने ही देश में पलत्ती गरीबी, बेबसी
और भ्रष्टाचार से
जलती आग
कर सकती है सब सुछ राख
सुना था कि भूख इन्सान को शैतान बनाती है
पर यहां तो खाते-पीते लोग
राक्षस बन रहे हैं
रोटी को लूटना अपराध है
पर लुटेरों के घर सोने की
ईंटों से सज रहे हैं
क्या भूखे पेट में शैतान बसेगा
उसके लिए तो अब महल बन गये हैं
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शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
4 years ago
1 comment:
बहुत सुन्दर भाव हैं!
राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की कहानी दरिद्रनारायण में ऐसी परिकल्पना की गई है कि एक दिन भारत के लाखों-करोड़ों गरीब दिल्ली की सड़कों पर उमड़ पड़ेंगे और सत्ता के प्रतिष्ठान पर टूट पड़ेंगे। सेना या पुलिस का कोई बंदोबस्त उन्हें रोक नहीं पाएगा और तब सरकार घुटने टेक देगी और गरीब का राज इस देश पर हो जाएगा।
क्या आपने वह कहानी पढ़ी है, क्या आपको यह मुमकिन लगता है? यदि नहीं, तो क्या विकल्प है आपके पास?
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