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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/21/15

दिल और शब्द-हिन्दी कविता(dila aur shabd-hindi poem)


दिल के भाव
शब्दों में समझे
श्रोता और पाठक की
 समझ का सवाल है।

नीयत और इरादे
स्वर में छिप जाते
व्याकरण भी ढाल है।

कहें दीपक बापू परमार्थ में भी
लोग अर्थ ढूूंढ लेते
जब श्रोता और दर्शक
समझदारी से भागता
अपनी बचाता खाल है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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