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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

5/27/16

पाखंड के दौर में-हिन्दी कविता(Pakhand ke Daur mein-Hindi Kavita)

अखबार का ज़माना है
विज्ञापन देकर 
चाहे जितने तमगे लगा लो।

पर्दे पर चलती कहानी में
अपने नाम के आगे
चाहे जितनी उपाधि लगा लो।

कहें दीपकबापू कर्म पर
अब किसका विश्वास रहा
फल में देरी पर
इंतजार नहीं रहा।
पाखंड के दौर में
धोखे की चाहे जितनी
बड़ी दुकान लगा लो।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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