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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/16/07

कौटिल्य अर्थशास्त्र:राजप्रमुख अपने पुत्रों पर दृष्टि रखें

  1. मदोन्मत्त हुए राजप्रमुख (राजा) के पुत्र निरंकुश हाथी का समान अभिमानी होकर भ्राता तथा पिता की ह्त्या कर डालते हैं।
  2. ऐसे पुत्र अनेक विषयों में अपने आग्रह करते हैं जिससे राज्य की रक्षा में बहुत कठिनाई आती है, जैसे व्याघ्र द्वारा भक्षित मांस की व्याघ्र के रहते हुए रक्षा नहीं हो सकती है।
  3. राजप्रमुख को चाहिए कि वह अपने पुत्रो तथा अपने सहायकों को विनम्रता सिखाये, यी वह विनम्र नहीं होंगे तो कुल और राज्य भी नष्ट हो सकता है।
  4. दुर्बुद्धि पुत्र का त्याग भी नहीं करना चाहिऐ। यदि उसे निकाला जायेगा तो शत्रु से मिलकर वह पिता की भी ह्त्या कर सकता है
  5. अगर राजपुत्र व्यसनों में पडा हो तो उसमें पडे अन्य व्यक्तियों के द्वारा उसे परेशान करवाए ताकि वह व्याकुल होकर उनसे विरक्त हो जाये।

नोट-इसमें राजा शब्द की जगह आज के संदर्भों में राजप्रमुख शब्द शब्द प्रयोग किया गया है।

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