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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

7/12/11

गुमशुदा-हिन्दी शायरी (gumshuda-hindi shayari)

सर्दी, गर्मी और बरसात में
रास्ते अपने चेहरा बदलते जाते हैं,
सर्दी की शीतलता से बर्फ जैसे,
गर्मी में बरसती आग से अंगारे जैसे,
बादलों से लेकर नदिया हो जाते है।
चलने का सलीका
आंखों में नजरिया
पैरों में अहसास हो जिनके पास
रास्ते उन्हीं से दोस्ती निभाते हैं।
________________
वह रास्ते में गुम हो गये
या उनका रास्ता गुम हो गया
पता नहीं चला
अलबत्ता गुमशुदाओं में
उनका नाम लिखा पाते हैं।
उनके दिल की वही जाने
हम तो उनको अपनी आंखों में
तस्वीर की तरह बसाये
बस, यूं ही ढूंढने जाते हैं।

लेखक संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athour and writter-Deepak Bharatdeep, Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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