ऐसा कोई आईना
नहीं बना अब तक
जो इंसान को
अंदर की तस्वीर
दिखा सके।
दो पांव पर चलना
शुरु कर देता है
इंसान खुद
मगर ऐसी कोई राह
मिली नहीं
जो सही चाल सिखा
सके।
कहें दीपक बापू
घमंड पर
चल रहा है पूरा
ज़माना
मगर कोई ऐसा
इंसान
दुनियां में
नहीं मिलता
प्यार के पन्नों
में
फरिश्ते की तरह
नाम लिख सके।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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