जिनके घर में
रहने वाले दिल
मतलब की आग में
जले हैं
वह दूसरों के
आंगन में
अंध्ोरे पर
हमदर्दी जताते हैं।
अपना पूरा दामन
हो बदरंग
दूसरों के
वस्त्र पर लगे
एक दाग पर ही
हाहाकार मचाते
हैं।
कहें दीपक बापू
रोने के सौदे से
पेशेवरों ने
अपने
महल बनाये है,
बाजार में हर
जगह
आंसू उन्होंने
सजाये हैं,
खिले हुए फूलों
से
मुरझाने के पहले
ही
हमदर्दी वह
जताते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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