किराये पर रहते लोग
सुंदर मकान का
सपना भी बिक जायेगा।
कहें दीपकबापू कर्ज पर
चल रहा संसार
यह सवाल भी है कि
ब्याज की राह पर
कितना चल पायेगा।
-------------
विज्ञापन में सुंदर मकान
चमकदार सड़कें देखकर
स्वर्ग का अहसास
दिल में जरूर आयेगा।
कहें दीपकबापू पुण्य के रूप में
कर्ज लेना है
ब्याज का दान
वहां निवास करायेगा।
-----------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
http://rajlekh.blogspot.com
यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
No comments:
Post a Comment