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9/7/15

मुर्दा दिमाग और ताजी हवा-हिन्दी कविता(Murda Dimag aur Tazi Hawa-Hindi Poem)


कठिन जिंदगी
बाप और भाई से
रुपया बड़ा जरूर बनायेगी।

रुपये डालर की दर
महंगी होकर
रिश्तों को सस्ता बनायेगी।

कहें दीपकबापू हैरान हैं
विकास के पैमाने
कभी समझ नहंी आये
संवेनाओं की कीमत
कभी लगा नहीं पाये
सामानो में फंसे ज़माने के प्राण
मुर्दा दिमागों को ताजी हवा
अपनी कीमत क्या बतायेगी।
..............
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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