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12/25/15

हंसते शब्दों का मजा लेते हैं-हिन्दी कविता(Hanste Shabdon ka Maza lete hain-Hindi Kavita)

सपनों का संसार
कभी कभी हम
यूं ही सजा लेते हैं।

ज़मान के कान बंद लगते
मद्धिम सुर में हम
यूं ही गीत बजा लेते हैं।

कहें दीपकबापू रस्मों पर
चलते चलते होती
जब दिल में उकताहट
अकेले में अपने ही
हंसते शब्दों का
यूं ही मजा लेते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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