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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

2/10/16

वहम के बयान-हिन्दी कविता (vaham ke bayan-Hindi kavita)

अपनी तबियत पर बस नहीं
बीमारी के चंगुल में
स्वयं ही फंसे हैं।

अपनी नीयत से बेखबर
दूसरे के दर्द पर
हमेशा हंसे हैं।

कहें  दीपकबापू कीमती शब्द
उन बयानों के जवाब पर
क्यूं खर्च करें
वहम में जो धंसे हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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