आतंक के व्यापार में
गरीब के साथ अमीर भी
पल रहे हैं।
कातिल बने सौदागर
खरीददारों के घर भी
लाशों के खून से भरे चिराग
जल रहे हैं।
कहें दीपकबापू हिसाब में
कभी गड़बड़ी नहीं होती
मानवता के पुजारी भी
आग पर पानी डालने के बहाने
छल रहे हैं।
------------
गरीब के साथ अमीर भी
पल रहे हैं।
कातिल बने सौदागर
खरीददारों के घर भी
लाशों के खून से भरे चिराग
जल रहे हैं।
कहें दीपकबापू हिसाब में
कभी गड़बड़ी नहीं होती
मानवता के पुजारी भी
आग पर पानी डालने के बहाने
छल रहे हैं।
------------
No comments:
Post a Comment