शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
4 years ago
2 comments:
काम चलाऊ कह सकते है आप, ज्यादा कारगर नही.
"अगर यह पढने में आती है तो इसका मतलब यह है जिनके पास हिन्दी फॉण्ट है और अन्य उपयोग नही है ती वह ऐसे भी काम कर सकते हैं"
आपका मतलब है कि जिन लोगों के पास रेमिंगटन हिन्दी फॉन्ट हैं वो बिना किसी टूल के भी ये टाइप कर सकें और पढ़ने वाले भी इस इमेज को बिना उस फॉन्ट के पढ़ सकें।
मैं आपकी बात समझ रहा हूँ लेकिन भईया ऐसा उल्टा काम करने की जरुरत क्या है। आपका मतलब है कि इस तरीके से बिना Indic IME के भी आप रेमिंगटन फॉन्ट की मदद से हिन्दी टाइप कर पाएंगे। लेकिन भईया पोस्ट पब्लिश करने तो ऑनलाइन होना ही पढ़ेगा न। इस सारे झंझट से अच्छा है कि यूनिनागरी के रेमिंगटन टूल का उपयोग करके पोस्ट लिख ली जाए, वो सबको दिखेगी भी झकास।
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