जैसे हम कार, मोटर साइकिल या स्कूटर तो खरीदते हैं परंतु -
- कार में सीट बेल्ट न बाँधना हमें ऐसा लगता है जैसे कि वह हमारी शान और योग्यता के खिलाफ है, भले ही कार चलाते में हमें कोई देख नहीं रहा है पर हम अपनी बहादुरी अपने को दिखाकर यह समझते हैं कि कोई हमें देख रहा है। कुछ तो शान से कहते हैं कि 'हम तो सीट बेल्ट नहीं बांधते' ऐसा कहकर वह हँसते हैं कि जैसे कोई बहुत बडे बहादुर हौं।
- मोटर साइकिल और स्कूटर पर हेलमेट न पहनने में इसीलिये और शान लगती हैं क्योंकि यह कानूनन जरूरी है और कोई चीज या काम कानून में वर्जित हो तो उसे कर कुछ लोग अपनी बहुत बड़ी बहादुरी समझते हैं। हेलमेट पहनना सब जगह जरूरी हैं पर कहीं अगर किसी पुलिस वाले ने पकड़ लिया तो उसे अपनी पहुंच का वास्ता देते हैं। कभी -कभी तो ऐसा लगता है कि कुछ लोग तो केवल इसीलिये हेलमेट नहीं पहनते ताकि कहीं अपने दोस्तो समेत पकड़े जाएँ और अपनी पहुंच का वास्ता देकर छूटकर बता दें।
- कार, मोटर साइकिल और स्कूटर की हैड लाईट पर आधा रंग काला होना चाहिए ताकि सामने से आ रहे वाहन चालक की आंखें पर उसका दुष्प्रभाव न पडे और वह और आप दोनों सुरक्षित निकल सकें। होता उलटा ही है। लोगों ने अपने वाहनों पर तेज लाइटें लगवा लीं हैं ताकि सामने वाले को बहुत अच्छी तरह दिख सकें जबकि वह तो इतनी तेज रोशनी देखकर वैसे ही डगमगा जाता है।
हम देश में जो दिन-प्रतिदिन दुर्घटनाएं हो रही हैं वह चालकों की लापरवाही से कम सावधानी न अपनाने की वजह से ज्यादा होतीं है। मोटर साइकिल और स्कूटर चालकों के साथ जो दुर्घटना होती हैं उसमें अधिकतर हेलमेट नहीं पहने होते।
यही स्थिति कंप्यूटर पर काम करने वालों की है। मैंने अनेक किताबों में कंप्यूटर से होने वाली हानियों और उनसे बचने के उपायों के बारे में पढा है पर मुझे नहीं लगता कि कंप्यूटर पर काम करने वाले इस बार में ज्यादा जागरूक हैं। मैंने पढा है कि इससे युवाओं में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य मानसिक बीमारियां बढ रहीं हैं। कुछ लोगों ने बचने के लिए इस तरह के सुझाव दिए हैं कि -
कम्प्यूटर पर काम करने के हर बीस मिनट बाद दो मिनट के लिए वहीं आँखें बंद कर बैठ जाना चाहिए, और शरीर को एकदम ढीला छोड़ देना चाहिए।
कंप्यूटर चलाते समय अपने खाने-पीने का ध्यान अवश्य रखना चाहिए और अपनी भूख और प्यास को कभी नहीं मारना चाहिए।
कहीं बाहर से आकर एकदम कंप्यूटर पर नहीं बैठना चाहिए।
कंप्यूटर पर काम करने के बाद मुहँ में पानी भरकर आँखों को पानी की छीटे जरूर मारना चाहिऐ।
कंप्यूटर रूम से बाहर आकर नीले आसमान की तरफ एक-दो मिनट गौर से देखना चाहिए।
- सुबह थोडा प्राणायाम जरूर करना चाहिए , और उसके बाद ध्यान लगना चाहिए। ध्यान में अपनी दृष्टि नाक के ऊपर भृकुटी पर रखना चाहिए। मुझे तो लगता है कि आम आदमी करे या न करे पर कंप्यूटर पर काम करने वालों को तो ध्यान अवश्य करना चाहिऐ-क्योंकि जितनी मानसिक और शारीरिक राहत की जरूरत कंप्यूटर पर काम करने वालों को है उतना उस पर न काम कराने वाले को नहीं है ।
- कंप्यूटर पर काम करते हुए बीच -बीच में जब भी मौका मिले ध्यान लगते रहना चाहिऐ। इसकी स्फूर्ति खुद मैंने अनुभव की है ।
- कंप्यूटर पर काम करने के बाद अगर कहीं बाहर किसी आदमी से मिलने जाना हो तो पहले ध्यान लगाकर फिर जाएँ। मैंने देखा है कि जब कम्प्यूटर पर काम करने के बाद किसी आदमी से मिलते हैं तो लगता है हम थके हुए हैं और अगर ध्यान कर जाते हैं तो एक तरह के उल्टे आत्मविश्वास रहता है हमने कम्प्यूटर पर काम किया है ।
एक बात याद रखना चाहिऐ कि अभी भी इस देश में कंप्यूटर पर काम करने वालों की संख्या बहुत कम है और हमें अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए अनेक व्यक्तियों से संपर्क रखना पड़ता है और इसके लिए शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति आवश्यक है और सावधानी नहीं रखेंगें तो कम्प्यूटर उन्हें कम कर देगा और बातचीत की टेबल हम पिट जायेंगे और रखेंगें तो हमारा आत्मविश्वास बढेगा। शेष अगले अंकों में
2 comments:
बहुत सही बाते कही हैं दीपक ने. मै पिछले 20+ सालों से संगणक का उपयोग कर रहा हूं. उसका दुष्प्रभाव मेरी उंगलियों पर इतना पडा कि मुझे CMC Vellore जाकर इलाज करवाना पडा. पहले से ही सावधानी रखें तो शायद यह नौबात न आये. धन्यवाद दीपक.
अच्छी जानकारी है।
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