समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

6/30/07

देवराज इन्द्र ने कहा- चलते रहो, चलते रहो

(देवराज इंद्र द्वारा राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहित को उपदेश के रुप में संस्कृत में दिए गये श्लोक का हिंदी में अर्थ )
  1. श्रम से थककर चूर हुए बिना किसी को धन संपदा प्राप्त नहीं होती। बैठे-बिठाये पुरुष को पाप धर दबोच लेता है। इंद्र उसी का मित्र है, जो चलता रहता है-थककर, निराश होकर बैठ नहीं जाता। इसीलिये चलते रहो।
  2. जो व्यक्ति चलता रहता है उसकी पिंडलियाँ (जांघें) फल देतीं हैं (अन्य लोगों से उसको सेवा प्राप्त होती हैं)। उसकी आत्मा वृद्धिगंत होकर आरोगयादी फल की भागी होती है तथा धर्मार्थ प्रभासादी तीर्थों में सतत चलने वाले के अपराध और पाप थककर सो जाते हैं, अंतत: चलते रहो।
  3. बैठने वाले की किस्मत बैठ जाती है और चलने वाले का भाग्य उतरोत्तर चमकने लग जाता है। अत: चलते रहो।
  4. सोने वाला पुरुष मानो कलियुग में सोता है, अंगडाई लेने वाला व्यक्ति द्वापर में और उठकर खड़ा हुआ व्यक्ति त्रेता में पहुंच जाता है। आशा और उत्साह के साथ अपने निश्चित मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति के सामने सतयुग उपस्थित हो जाता है, अंतत: चलते रहो।
  5. उठकर कमर कसकर चल पड़ने वाले पुरुष को ही मधु मिलता है। निरन्तर चलता हुआ व्यक्ति ही फलों का आनन्द प्राप्त करता है;सूर्यदेव को देखो सतत चलते रहते हैं, क्षणभर भी आलस्य नहीं करते। इसलिये जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक मार्ग के पथिक को चाहिए कि बाधाओं से संघर्ष करता हुआ चलता ही रहे,आगे बढ़ता ही रहे।

('कल्याण' से साभार )

1 comment:

Sanjay Tiwari said...

इसके बाद भी कोई न चलना चाहे तो?
लगता है आप कल्याण के पाठक हैं. कुछ और इसी तरह खोजकर पढ़वाईये. पढ़ते रहेंगे-पढ़ते रहेंगे-पढ़ते रहेंगे.

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें