अपनी बीमारियां साथ लेकर
शहर में घूम रहे लोग
दवाईयों के साथ परहेज के
नुस्खे मिलने वालों में बांट रहे हैं,
दिल और दिमाग से बीमार समाज में
हमारे चारों तरफ भीड़ है
मगर हम ख्यालों से तंदुरस्त
लोगों को दोस्ती के लिये छांट रहे है।
--------
वह चारों लोग आपस में
बात कर रहे थे
हम उनके पास जाते जाते
चर्चा के विषय के अनुमान कर रहे थे।
शायद वह राजनीति पर बोलते होंगे,
किसी फिल्म की कहानी को तोलते होंगे,
क्रिकेट के स्कोर पर चर्चा होती होगी,
सुना रहा होगा अपने खाने का स्वाद
सभी लग रहे थे भोगी,
जब पास जाकर सुना और देखा
तब पाया
वह तो बीमारी, इलाज और
परहेज पर बात कर रहे थे।
-------------
बीमारियां अब फैशन गयी हैं
लोग बीमारी, इलाज और फैशन
पर सरेआम चर्चा करते हैं,
अपनी बीमारी को अपनी काबलियत
इलाज और परहेज सभी को बताना
शान समझते हैं।
शहर में घूम रहे लोग
दवाईयों के साथ परहेज के
नुस्खे मिलने वालों में बांट रहे हैं,
दिल और दिमाग से बीमार समाज में
हमारे चारों तरफ भीड़ है
मगर हम ख्यालों से तंदुरस्त
लोगों को दोस्ती के लिये छांट रहे है।
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वह चारों लोग आपस में
बात कर रहे थे
हम उनके पास जाते जाते
चर्चा के विषय के अनुमान कर रहे थे।
शायद वह राजनीति पर बोलते होंगे,
किसी फिल्म की कहानी को तोलते होंगे,
क्रिकेट के स्कोर पर चर्चा होती होगी,
सुना रहा होगा अपने खाने का स्वाद
सभी लग रहे थे भोगी,
जब पास जाकर सुना और देखा
तब पाया
वह तो बीमारी, इलाज और
परहेज पर बात कर रहे थे।
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बीमारियां अब फैशन गयी हैं
लोग बीमारी, इलाज और फैशन
पर सरेआम चर्चा करते हैं,
अपनी बीमारी को अपनी काबलियत
इलाज और परहेज सभी को बताना
शान समझते हैं।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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