देश में क्रिकेट लीग प्रतियोगिता प्रारंभ हो गयी है। अगले 54 दिन तक देश के अनेक मनोरंजन प्रिय लोगों के लिये यह आरामदायक स्थिति है। हैरानी इस बात की है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के दौरान हृदय में देशभक्ति का का भाव लेकर देखने वाले लोग अब ऐसी स्थानीय स्तर के प्रतियोगिता भी मनोरंजन के लिये देखने लगे है। अभी बीसीसीआई की टीम ने विश्व क्रिकेट कप जीता था। फाइनल में सचिल तेंदुलकर फ्लाप रहा है। वीरेद्र सहवाग भी जल्दी चलता बना। मगर बाद में विराट कोहली, गौतम गंभीर और कप्तान धोनी ने अपने पराक्रम से मैच निकाल ही लिया। कहने को सभी ने सचिन तेंदुलकर की वाहवाही की मगर पुराने क्रिकेट प्रेमी जानते हैं कि सचिन कभी ऐसे मौके पर काम नहीं आता। खासतौर से जब स्कोर का पीछा करना हो सचिन अधिकतर ही फ्लाप रहा है। अगर दूसरी पारी में स्कोर का पीछा करते हुए विजय हासिल करने वाले मैचों की संख्या गिनी जाये तो विराट कोहली ने कम समय में ही सचिन से अधिक काम कर दिखाया होगा।
इसके बावजूद सचिन के लिये बाज़ार और प्रचार माध्यमों के प्रबंधक जनता में भले ही दीवानगी बनाये रखना चाहते हों पर वह सफल नहीं हो पा रहे। सचिन को भारत रत्न दिलाने के लिये भी जोरदार अभियान चल रहा है पर हमारा मानना है कि कपिल देव और धोनी इसके दावेदार है। इतिहास हमेशा विजेता नायकों को मानता है और सचिन ने अपने नायकत्व में भारत के लिये कोई कमाल नहीं किया। बहरहाल बाज़ार और प्रचार माध्यमों ने अब लीग स्तरीय प्रतियोगिताओं को अपनी कमाई का साधन बना लिया है। इसका आयोजन इस तरह किया जाता है कि उसके लिये मैदान के अलावा टीवी प्रसारण पर भी दर्शक उपलब्ध हों। इस समय देश के स्कूलों में इम्तहान के बाद अवकाश का समय होता है। इसके अलावा गर्मियों की वजह से लोगों का सड़कों पर आवागमन दिन के दौरान कम होता है। सभ्रांत मध्यम वर्गीय परिवार के लोग घर या कार्यालय स्थल पर अंदर पड़े होते हैं। शाम को उनके लिये मनोंरजन का साधन आवश्यकता बन जाता है और यह लीग मैच वही काम कर रहे हैं। फिर नयी पीढ़ी के लोगों के लिये इस अवकाश के समय में मनोरंजन का होना आवश्यक होता है। इसी पीढ़ी के लोगों में अनेक भटकाव का शिकार होकर सट्टा वगैरह भी लगाते हैं। इस तरह एक नंबर और दो नंबर दोनों प्रकार के धंधे करने वालों को अच्छी कमाई होती है।
सच बात तो यह है कि अनेक खिलाड़ियों को बीसीसीआई की अंतर्राष्ट्रीय टीम से इसलिये हटाया गया ताकि उनको लीग प्रतियोगिता में लाया जा सके तो कुछ लोगों को इसलिये खिलाया जा रहा है ताकि इस प्रतियोगिता का आकर्षण बना रहे। यही कारण है कि बीसीसीआई टीम में अनेक अनफिट खिलाडी खेल रहे हैं। एक बात हम यहां बता दें कि क्रिकेट में फिटनेस बल्लेबाजी और गेंदबाजी से नहीं वरन् क्षेत्ररक्षण तथा विकेट के बीच दौड़ से देखी जाती है। इसमें बीसीसीआई टीम के खिलाड़ी अत्यंत कमजोर हैं।
इसके उदाहरण बहुत हैं पर गैरी कर्टसन ने इसे प्रत्यक्ष प्रस्तुत किया। एक बार एक मैदान में उन्होंने बीसीसीआई टीम खिलाड़ियों को अपने साथ दौड़ाया। वह कोच थे और उनकी उम्र भी भारतीय खिलाड़ियों से अधिक थी मगर उस स्टेडियम के उन्होंने चार चक्कर बड़े आराम से लगाये जबकि कोई भी भारतीय खिलाड़ी वह दौड़ पूरी नहीं कर सका। सभी थोड़ा दौड़े पर हांफ रहे थे जबकि गैरी कर्टसन चार चक्कर लगाने के बाद भी आरामदायक स्थिति में दिख रहे थे।
इसके बावजूद यह हकीकत है कि बीसीसीआई टीम के खिलाड़ी अन्य देशों से अधिक अमीर हैं। हमारे अध्यात्म दर्शन में कहा भी जाता है कि अमीरों की प्राणशक्ति कम होती हैं। अन्य देशों के खिलाड़ी भी अमीर हैं पर वह व्यवायिक प्रवृत्ति के होते हैं इसलिये उनकी प्राणशक्ति अधिक होती हैं। जब हम इस लीग प्रतियोगिता को देखते हैं तो हैरानी होती है कि फ्लाप लोगों का यह मनोरंजक प्रदर्शन हिट हो जाता है। इस पर हम दो बातें कह सकते हैं कि एक तो यह कि लोगों को मनोरंजन और खेल में अंतर करना नहीं आता। दूसरी बात यह कि शायद उनके पास अधिक विकल्प नहीं है या फिर उनमें रुचियों का अभाव है। सच बात तो यह है कि अंतराष्ट्रीय मैच अनेक खिलाड़ी केवल इसलिये खेल रहे हैं क्योंकि उनके आका क्रिकेट खेल की अंतर्राष्ट्रीय छवि बनाये रखना चाहते हैं वरन् तो यह लीग प्रतियोगिता उनकी पहली पसंद है।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
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really nice written sir.
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