सिगरेट पीने से कैंसर होता है-यह स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं। कुछ लोगों
का मानना है कि यह तर्क गलत है। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि सिगरेट पीने
वालों को कुछ हो या नहीं पर वह अपने धूऐं से दूसरों में बीमारी जरूर पैदा करते
हैं। सिगरेट प्रथा का समर्थन वाले अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों के इस तर्क को चुनौती
दे रहे हैं कि सिगरेट पीने वालों को कैंसर होता है। हम उनकी बात मान लेते हैं पर अपने धूऐं से
दूसरों को बीमारी देने के तर्क का क्या जवाब है? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि सिगरेट पीने
वाले अपना धुआं मुंह से फूंककर दूर ढकेल
देते हैं और वह पास में मौजूद लोगों के सांसों के साथ फेफड़ों में घुस जाता है।
इतना ही नहीं सिगरेट पीने वाले अपने उस परिवार के लोगों के अप्रत्यक्ष शत्रु होते
हैं जिनके हित चिंता वह करते हैं।
जब उद्यान में घूमते, सड़क पर चलते तथा रेल या बस में यात्रा करते हुए जब सिगरेट का धूंआ उस
व्यक्ति की सांस में आता है जो इसे पीता ही नहीं है तब वह कितना दुःखी होता है, यह वही जानता है। हमें
यह लगता है कि तंबाकू उत्पादों के प्रचारक यकीनन इतने उच्च स्तर पर सांस ले रहे
हैं जहां वह सामान्य आदमी का दर्द अनुभव कर सकें तभी ऐसी बातें कर रहे हैं जिन पर
आश्चर्य होता है। वैसे आजकल बने बनाये पाउच बाज़ार में बिकने से सिगरेट के धूऐं से
कम ही सामना होता है पर उसके विक्रय पर जिस तरह प्रतिबंध लगाया जा रहा है उससे तो
लगता है कि सिगरेट का प्रचलन अधिक मात्रा में लाने का कोई प्रयास हो रहा है। शुद्ध सांस लेने के आदी अनेक लोग तो उन पाउच वाले तंबाकु युक्त उत्पादको का
व्यंग्यात्मक लहजे में आभार भी व्यक्त
करते हैं जिन्होंने सिगरेट का प्रचलन कम कर धूंऐ से बचाया है। इसका आशय यह कदापि
नहीं है कि हम पाउच वाले तंबाकू उत्पादों के प्रयोग का समर्थन कर रहे हैं जो कभी
कभी सिगरेट से ज्यादा घातक लगते हैं।
बहरहाल हम इस लेख के माध्यम से सिगरेट विरोधियों से यह आग्रह पहुंचा रहे
हैं कि सिगरेट से कैंसर होने के तर्क पर ही न रहें वरन् उससे न पीने वालों को होने
वाली की चर्चा कर मुखर हों।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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