फेसबुक पर कुछ मित्रों को पाकिस्तान की आंतरिक हलचलों में बहुत रुचि है और वह अपने मुखपुस्तिका की दीवार पर वहां के चैनलों पर विद्वानों के बहस करने वाले वीडियो चिपका देते हैं। जो वीडियो यूट्यब से सीधे लिंक से आते हैं उनसे वहां के अन्य चैनलों की बहस के भी वीडियो दिखाई देते हैं। अनेक बार हम वहां की बहसों को सुनते हैं। इतना ही नहीं कभी कंप्यूटर पर सीधे पाकिस्तानी चैनलों को भी देख लेते हैं। इससे यह तो पता चल ही जाता है कि सरहद पार क्या चल रहा है। पाकिस्तानी चैनलों में एंकर वक्तओं के बीच कम टोकाटोकी करते हैं जबकि भारत में अनेक बार तो पूरी बहस ही शोरशराबे में डूब जाती है। बहरहाल एक बात तय है कि पाकिस्तानी मीडिया अपने ही सरकारी एजेंडे को भारत तथा हिन्दूओ के विरोध में चलाता है पर इसके बावजूद कुछ वक्ता इसके विपरीत ऐसी टिप्पणियां करते हैं जो हमारे ही फेसबुकिए उठाकर रखते हैं। पाकिस्तान के विद्वान हैं हसन निसार। हम उन्हें नहीं जानते मगर फेसबुकिऐ उनकी बहसों के वीडियो वाल पर चिपका जाते हैं।
भारत मे हिन्दू गाय को माता क्यों मानते हैं? इस विष पर हसन निसार ने कलकत्ता के एक हिन्दू विद्वान की किताब का हवाला देकर बताया था कि पहले सब्जियां नहीं होती थीं। भैंसों का दूध भी पीने की परंपरा नहीं थी तब गाय मनुष्य के लिये एक तरह से पारिवारिक सदस्य बन गयी थी। उसका दूध, धी, दही तथा पनीर आदि बनता था जो सब्जी के रूप में खाया जाता था। जिस तरह मां का दूध बच्चे के लिये उपयोगी है उसी तरह गाय का दूध भी सभी के लिये अच्छा है। इसलिये हिन्दू परंपरागत रूप से गाय को माता का दर्जा देते हैं और इस पर हंसना बुरी बात है।
हसन निसार अनेक बहसों में भारत तथा हिन्दू विरोधी जैड हामिद के तर्कों की धज्जियां उड़ायीं हैं। हम अक्सर भारत में पाक समर्थन बयान देने वालों पर उत्तेजित हो जाते हैं। ऐसे में हसन निसार को पाकिस्तानी टीवी पर बेबाकी से जब वहीं के राज्यप्रबंध की धज्जियां उड़ाते हुए हिन्दू विरोधी भावना स्थापित करने का प्रतिकार करते हैं तो लगता है कि उन्हें कहीं परेशानी न झेलना पड़ें। एक बार उन्होंने कहा था कि अगर मेरी बात किसी को बुरी लगती है तो माफी मांग लेता हूं पर अपना विचार नहीं बदलता। भारत में अनेक कथित राष्ट्रवादी विद्वान पर भी भी तैमूर लंगड़े, मोहब्बत बिना कासिम, अब्दुलशाह अब्दाली और बाबर के लिये क्रूर, अय्याश तथा लुटेरा शब्द प्रयोग ऊंची आवाज नहीं करते जबकि हसन निसार खुल्लमखुल्ला करते हैं। मुगलों के बारे में ऐसी बातें कहते हैं जो हिन्दूवादी भी दबे स्वर में एकाध बार ही कह पाते हैं। अपने ही धर्म पर ऐसी टिप्पणिंयां करते हैं कि अगर भारत में कोई करे तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाये। हमारे यहां के कट्टर हिन्दू विद्वान ऐसी टिप्पणियां करने की सोच भी नहीं सकते।
उरी हमले के बाद पाकिस्तानी चैनलों पर वक्ता भारत पर आक्षेप भी कर रहे हैं तो डरे हुए भी दिखते हैं । हसन निसार अनेक बार खुलकर भारत से अच्छे संबंध बनाने के लिये कश्मीर मुद्दा छोड़ने की बात कह चुकें हैं पर बाकी लोग तो अच्छे संबंधों के साथ कश्मीर मुद्दा छोड़ने की बात नहीं भूलते। बहरहाल फेसबुकिए मित्रों का धन्यवाद जो कभी सरहद पार का हाल जाने के लिये प्रेरित करते हैं।
----------------
No comments:
Post a Comment