समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

1/27/17

भक्त असमंजस में हैं कि आखिर किस तरह अपनी अभिव्यक्ति आगे बढ़ायें-हिन्दी लेख (Bhakt is confused his Espression-HindiArticle)

                                    भक्तों के भी तीन प्रकार होते हैं-आत्ममुग्ध, विचारमुग्ध तथा तंत्रमुग्ध। हम तीनों के वर्तमन दृष्टिकोण पर नज़र रखे हुए हैं। आत्ममुग्ध शब्द का यहां सकारात्मक अर्थ लें। यह भक्त आत्मिक भाव से बिना किसी लाभ के साथ देते हैं। विचारमुग्ध भक्त इसलिये साथ आये क्योंकि उन्हें लगा कि उनके संकल्प का भी वही मार्ग है जिस पर समूह चल रहा है।  तीसरे तंत्रमुग्ध भक्त हैं जो यह देखकर साथ आते हैं कि कुछ लाभ तो जरूर होगा-जब तक काम चलता है साथ रहते फिर दूर हो जाते हैं। उनका लक्ष्य तात्कालिक हित साधना है-सहृदयता या वैचारिक साम्यता के लिये उनके दिमाग में कोई स्थान नहीं होता। अब प्रथम दो प्रकार के भक्त भारी हताश दिख रहे हैं क्योंकि  तंत्रमुग्ध भक्तों के लिये यह गणतंत्र दिवस कुछ कर दिखाने और प्राप्त करने का है जिसके लिये वह सक्रिय है। हम यह बता दें कि हम भी  पुराने आत्ममुग्ध थे, फिर विचार मुग्ध होकर रह गये। तंत्रमुग्ध की राह हमें चलना नहीं आती। बहरहाल प्रथम दो श्रेणियों के भक्तों से हमारा स्वाभाविक रूप से लगाव रहा है और रहेगा। गणतंत्र दिवस पर हमारा उनके लिये यही संदेश है कि इस बात नहीं तो फिर अगली बार देखेंगे। इस दौर में परिवर्तन की संभावनायें तो लगभग समाप्त हो गयी हैं।

                                भक्तों से क्या कहें, हम भी इतने उकता गये हैं कि भारत के हिन्दी और अंग्रेजी के चैनल छोड़कर सीएनएन, बीबीसी के साथ अलजजीरा चैनल देखकर अंतर्राष्ट्रीय खबरों का आनंद लेते हैं। अब देश के पांच राज्यों से अधिक अमेरिका के नये नवेले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमारी ज्यादा नज़र है जिनके आने से यूरोप ही नहीं ब्रिटेन भी थोड़ा परेशान दिखता है।  वैसे ट्रम्प ने सबसे पहले ब्रिटेन और इजरायल के राष्ट्रप्रमुखों से बात की है। भारत से भी उनकी जल्दी बातचीत होगी। ट्रम्प ने अब तक भले ही बहुत सारी बातें ऐसी की हैं जिससे लगता है कि विश्व में अपने देश के स्थापित वर्चस्व में कमी लायेंगे पर कालांतर में सच्चाईयां सामने आने पर उन्हें पुरानी नीति के बहुत सारा हिस्सा अपनाना पड़ सकता है।
                                        हमारी दृष्टि से भारत को अततः फलस्तीन के प्रति अपना समर्थन त्यागकर इजरायल से मित्रता करना ही पड़ेगी। चीन और रूस भले ही अरेबिक आतंकवाद का विरोध करें पर वहां के सत्ताधारी लोगों के प्रति उनका झुकाव साफ दिखता है। अमेरिका तथा रूस अपने हथियार और बारूद बेचने में ज्यादा रहते हैं।  अगर अमेरिका इस धंधे से पीछे हटता है तो रूस और चीन अपना बाज़ार बनायेंगे तब भारत के लिये समस्या आ सकती है।  ऐसे में इजरायल ही ऐसा देश बचता है तो जो भारत के साथ खड़ा रह सकता है। हालांकि यहूदी लाबी के दबदबे में रहने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के लिये मुश्किल होगा कि वह इजरायल को अकेला छोड़ दे। इजरायल जरूर चाहेगा कि अमेरिका अपना वर्चस्व अरब जगत पर बनाये रखे और तब रूस और चीन के लिये अपना पूर्ण वर्चस्व स्थापित करना कठिन होगा।
-------
                 कृपया इसे श्रीमद्भागवत गीता के संदेशों से न जोड़ें। हमारे पत्रकार गुरुजी ने हमें बताया था कि पत्रकार तीन प्रकार को होते हैं। एक रूहफरोश जो आत्मिक भाव की समानता देखकर काम करते है। दूसरे ख्यालफरोश जो विचारधारा के आधार पर जुड़ते हैं। तीसरे होते हैं खानाफरोश जो कि केवल रोटी कमाने के लिये पत्रकारिता करते हैं।


No comments:

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें