अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रचार माध्यम तथा अरेबिक आतंकवाद के विरुद्ध एक साथ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कम से कम 72 अरेबिक धार्मिक आतंकवादी घटनाओं को मीडिया ने छिपाया। हमें नहीं मालुम कि वह कौनसी घटनायें हैं पर फेसबुक पर अनेक बार यजीदी, कुर्दिश तथा ईसाई महिलाओं के साथ इराक तथा सीरिया के आतंकवादियों की भयानक बदतमीजी की घटनायें समाचार बनी पर अंतराष्ट्रीय प्रचार माध्यमों ने उन्हें नहीं बताया। हमें भी कई बार लगा कि यह शायद अरेबिक धर्म को बदनाम करने के लिये प्रचारित हुईं हैं पर ट्रम्प के बयान से लगता है कि यह सच है।
कुछ लोग यह सवाल उठा सकते हैं कि आखिर अल्जजीरा, सीएनएन और बीबीसी वाले ऐसे समाचार क्यों दिखायें? समूचा अरब जगत कोई इनके समाचार क्षेत्र में आता है क्या?
हमारा जवाब है कि जब अरेबिक लोगों पर प्रतिबंध के बाद इराक के बीमार बच्चे का अमेरिका आना बाधित होने पर जब यह चैनल हाहाकार मचा रहे हैं तो फिर यह बात भी कही जा सकती है कि इराक का एक बच्चा जब समाचार क्षेत्र के दायर में आ सकता है तो हजारों यजीदी तथा कुर्द महिलाओं के साथ बदसलूकी तथा उनकी हत्या का समाचार क्यों नहीं आ सकता?
एक बात तय रही कि ट्रम्प ने साबित कर दिया है कि वह मीडिया की वह परवाह नहीं करते। जब से आये हैं तब से अमेरिका सहित पश्चिमी जगत के समूचे मीडिया में उनका नाम एक दबंग छवि का पर्याय बन गया है। प्रसंगवश भारत में भी हिन्दू धार्मिक संगठन प्रचार माध्यमों पर ऐसे ही आरोप लगाते हैं जिसमें कहीं कोई एक गैर हिन्दू पर प्रहार हुआ तो बिना जानकारी के प्रचार माध्यम हिन्दू संगठनों पर हमला करते देते हैं जबकि कहीं एक साथ हिन्दुओं पर सामूहिक हमला होता है तो प्रचार माध्यम खामोश रहते हैं-हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है पर अपनी फेसबुक की दीवार पर अनेक ऐसे संदेश देखे हैं जिस पर यकीन करें या नहीं समझ में नहीं आता।
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