- राजप्रमुख को चाहिए कि वह अपने राज्य के दुष्ट और विद्रोही प्रवृति के लोगों की हमेशा निगरानी करे। विद्रोहियों से वार्ता का मार्ग न अपनाते हुए गुप्त शस्त्रों का प्रयोग करे।
- विश्वस्त गुप्तचरों के के द्वारा उनकी खोज करे तथा उनके ठिकानों का पता लगाए तथा उन्हें प्रकट करते हुए उन्हें नष्ट करे।
- इस प्रकार जनता जनता की भलाई के लिए दुष्ट और विद्रोही पुरुषों के अपराधों की सार्वजनिक घोषणा करते हुए उन्हें नष्ट करे।
- कठोरतम दण्ड से जनता विचलित हुने लगती है और कोमल दण्ड से तिरस्कार करने लगती है, इसलिये अपराध के वृति को दृष्टिगत मध्यमा वृति से किसी का पक्ष न लेकर, राजप्रमुख उचित दण्ड की व्यवस्था करे।
- जैसे सूक्ष्म बीजांकुर भी रक्षा करने से पुष्ट हो जाता और समय आने पर फल देता है, इसी प्रकार राजा से रक्षा होने पर प्रजा भी समय पर राजा को फल देती है।
भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
*----*
*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
1 comment:
बहुत अच्छी ज्ञानवर्द्धक जानकारियाँ देते हैं आप। ऐसी शिक्षाओं को रोज पढ़ना चाहिए। काश कि हमारे आज के अर्थशास्त्री इन्हें अपनाते। काश कि आधुनिक अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में यह पुस्तकें शामिल होतीं।
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