- राज्य प्रमुख को अपने राज्य की जनता के लिए आश्वासन रूपी पदार्थों की वर्षा ठीक उसी प्रकार करनी चाहिए, जिस प्रकार इंद्र देव चार महीने वर्षा करते हैं।
- राज्य प्रमुख को अपनी जनता से वैसे ही कर प्राप्त करना चाहिए, जिस प्रकार सूर्य आठ महीने अपनी किरणों के माध्यम से जल ग्रहण करता।
- उसे अपनी जनता की मनोवृत्ति की जानकारी उसी प्रकार रखनी चाहिए, जिस प्रकार हवा सभी जीवों में प्रविष्ट होकर घूमती है।
- अपराध करने वाले मित्रों और शत्रुओं दोनों को समान रुप से दंड देना चाहिऐ, ठीक उसी प्रकार जैसे यमराज समय आने पर प्रिय या अप्रिय सभी को ऐक समान अपना ग्रास बनाते हैं।
- राज्य प्रमुख को चाहिए कि पापियों को उसी प्रकार बंदी बनाकर रखे जिस प्रकार वरुण देव धर्म को भ्रष्ट करने वाले को अपने पाश में बाँध कर रखते हैं।
- जिस प्रकार पृथ्वी सभी प्राणियों को समान रुप से ग्रहण करती है उसी प्रकार राजा द्वारा अपनी प्रजा का समान रुप से पालन करना 'पार्थिव व्रत' कहलाता है।
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
-
*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
3 comments:
काश कि हमारे वर्तमान राजनेता इसका एक प्रतिशत भी आचरण में ला पाते!
बहुत सटीक विचार प्रेषित किए हैं।बधाई।
भगवान करे ऐसा ही हो।
Post a Comment