यूँ तो जिंदगी के इस सफर में
कदम-कदम पर हाथ मिलाने वाले
दोस्त मिल जाते हैं
साथ निभायें जो सदा
ऐसे कुछ नाम याद नहीं आते हैं
कोई ऐसा पेड नहीं मिलता
जिस पर प्यार और वफा के फल
लटके मिल जायें
हम वहाँ से तोड़कर खा जायें
हम करते हैं दूसरे से उम्मीद
पर कभी सोचा है कि हम
अपने दोस्तों से कितना निभाते हैं
फिर भी मैं निराश नहीं होता
क्योंकि प्यार और वफा के जज़्बात
कभी इस दुनियाँ में मर नहीं सकते
उम्मीद और अरमानो के रास्ते
हमेशा कभी बंद नहीं हो सकते
हर रोज मिलने वाले न निभायें
पल भर मिलने वाले दोस्त भी
अपनी वफा निभा जाते हैं
पर वह पल और दोस्त
हम भी कहाँ याद याद रख पाते हैं
दोस्तों का कोई एक दिन नहीं होता
उनकी कोई एक शाम नहीं होती
और उनके कोई एक रात तय नहीं होती
हजारो भ्रम पालते हुए सैंकडों
दोस्तों का जमघट लगाकर
कुछ पलों की मुलाकात में
जिंदगी भर के प्यार और वफा की
उम्मीद अपने दिल में जगाकर
स्वयं को ही धोखा दे जाते हैं
दोष जमाने को देते हैं
अपनी गलती अपने से ही छिपाते हैं
हर कदम पर
अपनी स्वार्थ सिद्धि का भाव
होता है हमारे अन्दर इसलिये
हर मिलने वाले में
दोस्ती ढूंढने लग जाते हैं
अपनी नीति और नीयत को देखो
लोगों को मुसीबत से
उबारना सीखो
दूसरे का दर्द अपना समझो
अपने सत्य पथ पर चलते रहो
यकीन करो इस दुनिया में
ढूंढें से नहीं बल्कि
बिना ढूँढे ही दोस्त मिल पाते हैं
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
1 comment:
""हम करते हैं दूसरे से उम्मीद
पर कभी सोचा है कि हम
अपने दोस्तों से कितना निभाते हैं।
बहुत अच्छी रचना। ऐसे ही लिखते रहे।
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