यह संयोग ही है कि आज ही ममता जीं ने अपनी पोस्ट में मेरे नाम का उल्लेख किया है, जबकि मैंने कल ही उनके ब्लोग पर अपना लेख लिखा था और उसे आज के ब्लोग पर रखने वाला था उसे छोड़ कर यह दूसरा लिख रहा हूँ क्योंकि उनकी आज की रचना के बिना यह समीक्षा अधूरी लगती।
कुछ ब्लोग ऐसे हैं जिन्हें मैं नियमित रुप से पढता हूँ क्योंकि वह रूचिकर और ज्ञान वर्द्धक सामग्री से भरपूर होते हैं उनमें mamta tv भी ऐक है। ममता जीं जिस मनोयोग से लिखती हैं उनके शब्द उसको बयान करते हैं। उनके गोवा और आगरा के यात्रा वृतांत आज भी मेरे हृदय पटल पर अंकित हैं, क्योंकि उनमें न केवल रूचिकर विवरण था बल्कि अच्छी खासी जानकारी भी थी। अपने भावों को पूरी तरह शब्दों में प्रकट करने की जो ममता जी कोशिश करती हैं, वह बहुत प्रभाव पूर्ण लगता है। फिर उनमें फोटो की प्रस्तुति सोने में सुहागा जैसी बात लगती है।
वह केवल न अच्छा लिखती हैं बल्कि दूसरों का लिखा पढ़ती भी है, और आपने कमेन्ट से प्रेरित भी करती हैं। आज ही उनके साँपों पर लिखे गये लेख को पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा। प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह लेख संग्रहणीय है, और साथ उनकी लेखन के प्रति सामाजिक प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है-मेरी दृष्टि से जो ऐक लेखक या लेखिका की सबसे बड़ी पहचान भी होती है। ऐक बात और जो मैं कहना चाहूँगा कि बिना अच्छा पढे आप लिख नहीं सकते। कई लोग ऐसे हैं जो बस लिखना चाहते हैं पर पढ़ना बिल्कुल नहीं और इसलिये उनकी रचनाएँ प्रभावपूर्ण नहीं बन पाती ।
ममता जी की रचनाएं देखकर ऐक बात साफ समझ में आती है उनका अध्ययन भी अनेक विषयों पर किया गया है-और इसी कारण अपनी रचनाओं को इतने प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत कर सकीं हैं। अभी मोबाइल की बेट्री के संबंध में उनके जो आलेख थे सामयिक विषयों पर उनकी दिलचस्पी को दर्शाते हैं। सहज और सरल भाषा, रूचिकर विषय, प्रभावपूर्ण शब्द और महत्वपूर्ण जानकारी से सुसज्जित उनके ब्लोग में आगे भी ऐसे प्रभावपूर्ण, रूचिकर और ज्ञानवर्द्धक रचनाएं पढने को मिलेंगी ऎसी आशा है। इसके लिए मेरी शुभकामनाएं।
उनके आलेख के साथ link यहाँ दिया है
एक और डरावनी पोस्ट (सांप )
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
4 comments:
दीपकजी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी इस समीक्षा से हमारा हौसला बढ़ा है । और हम तहेदिल से आपके शुक्रगुजार ह
प्रिय दीपक,
इस तरह से अन्य लेखों एवं लेखकों को प्रोत्साहित करना एक आदर्श कार्य है. साधुवाद !
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
दीपक जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं ममता जी अच्छाअ लिखती हैं।मै भी उन्हें पढता हूँ}
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