हर पल साथ निभाने का था वादा
हम भी अपनी उम्मीद का आकाश
उन पर टिकाये बैठे थे
अब न उनका पता लगता है
न उनके वादों के पूरे होने की
उम्मीद दिखाई देती हैं
यह दिल का खेल है जिसमें
जीत बदर्दों की होती हैं
दर्द वालों की तस्वीर और तकदीर
दोनों रोती दिखाई देती हैं
टूटने के लिए नही होते तो
वादे इस धरती पर पैदा ही क्यों होते
धोखे नहीं होते यहाँ पर
तो विश्वास के कद्रदान ही क्यों होते
जिन्दगी के इस खेल में
हँसते वही हैं जो किसी को रुलाते हैं
उनको कभी किसी तस्वीर में
प्यार और वफा नहीं दिखाई देती
भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
*----*
*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
2 comments:
bahut badiya likha hai. shukriya
पढ़कर अच्छा लगा,बहुत खूब!
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