किस किसके सवालों के जवाब देते
किस किसको देते अपनी सफाई
अपनों से ही जो हमने
वफ़ा करने की सजा पायी
किसी को दिया होता धोखा
किसी के विश्वास को लूटा होता तो
कुछ जमाने को बता पाते
यह सब करते तो झूठ भी बोल जाते
हैरान है दिल अपना
जुबान हैं खामोश
अपनों से मिले जख्म को सहलायें
कि जमाने को दें सफाई
चिल्ला कर दर्द बढाने से अच्छा है
खामोशी ओढ़ लें
अपने आप आयेगी सामने सच्चाई
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शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
1 comment:
चिल्ला कर दर्द बढाने से अच्छा है
खामोशी ओढ़ लें
अपने आप आयेगी सामने सच्चाई
--उचित निर्णय.
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