किस किसके सवालों के जवाब देते
किस किसको देते अपनी सफाई
अपनों से ही जो हमने
वफ़ा करने की सजा पायी
किसी को दिया होता धोखा
किसी के विश्वास को लूटा होता तो
कुछ जमाने को बता पाते
यह सब करते तो झूठ भी बोल जाते
हैरान है दिल अपना
जुबान हैं खामोश
अपनों से मिले जख्म को सहलायें
कि जमाने को दें सफाई
चिल्ला कर दर्द बढाने से अच्छा है
खामोशी ओढ़ लें
अपने आप आयेगी सामने सच्चाई
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भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
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*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
1 comment:
चिल्ला कर दर्द बढाने से अच्छा है
खामोशी ओढ़ लें
अपने आप आयेगी सामने सच्चाई
--उचित निर्णय.
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