छोटे आदमी को कुचल कर
यूं ही सब बडे होते जायेंगे
गरीब को लूटकर
यूं ही अमीर होते जायेंगे
जमीन को खोदकर
आसमान में उड़ते जायेंगे
तो कब तक खुद भी जिंदा रह पायेंगे
क्या यह कभी तुमने सोचा है
छोटा काम करते आती है शर्म
बड़ा करना चाहते हैं कर्म
कितना भी उड़ लें
जमीन पर रखने ही हैं कदम
आकाश में नजर लगाए बैठें हैं
नहीं जानते धरती का मर्म
खूबसूरत और ऊंची अट्टालिकाओं में
रहने वालो
बंद गाड़ियों में घूमने वालों
यह जमीन तुम्हारी दासी नहीं है
जो सबको रौंदकर चलना चाहते हो
क्या यह कभी तुमने सोचा है
जिंदा रहने और चलने का हक़
यहाँ सभी प्राणियों को है
तुम जमीन पर आकाश की तरह
उड़ने की कोशिश मत करो
गरीब और छोटे पर
कटु शब्दों की वर्षा मत करो
तुम्हारे बडे होने का भ्रम
उनके ही क्रूर यथार्थ की बुनियाद पर टिका है
मेहनतकश को देवता ही समझो
जो सींचते हैं अपने पसीने से
तुम्हारी अमीरी रुपी हरियाली
वह अपराध नहीं कर तुम्हारे
जीवन में शांति का स्वर्ग बसाते हैं
अपने दर्द को दवा समझकर पी जाते हैं
क्या कभी तुमने यह सोचा है
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भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
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*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
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