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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

12/8/07

गूगल दुनिया के लिए एक ख़तरा!

ऑस्ट्रिया के ग्रेज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन ‘गूगल’ को दुनिया के लिए एक खतरा बताया है। विश्वविद्यालय की संचार और कंप्यूटर संस्थान के अध्यक्ष प्रो.हरमैन माउरर के नेतृत्व वाले एक शोध दल के मुताबिक गूगल अब एक नया स्वरूप लेने जा रहा है जो इंटरनेट की दुनिया में पूर्ण एकाधिकार की कोशिश है। शोध में गूगल के एकाधिकार और इसके ‘खुफिया एजेंसी’ में बदलते जाने की आशंका पर चिंता व्यक्त की गई है।

यह खबर सिफी कॉम पर हैं और गूगल अपने मुख पृष्ठ पर यह दिखा रहा है। वैसे भारत में गूगल ने जिस तरह अपने पाँव फैलाये हैं उसे देखते हुए उसको अभी चुनौती मिलना कठिन है। भारत में गूगल के निरंतर मजबूत होने का कारण उसके हिन्दी, तमिल तेलगु, कन्नड़ और मलयालम भाषा के टूल तो हैं ही उसका सर्च इंजन भी बहुत शक्तिशाली है-यही कारण है की गूगल में इतना आत्मविश्वास है कि वह अपने को खतरा बताने वाली खबर भी स्वयं दिखा रहा है। अगर हम आज अपने हिन्दी चिट्ठों को देखें तो उसमें गूगल की भूमिका को नकारना कठिन है, क्योंकि उसके बिना शायद हिन्दी में चिटठा लिखना इतना आसान नहीं है। ऐसा नहीं है कि अन्य वेब साईटें भी इसके लिए तैयार नहीं हो रहीं होंगी और आज के व्यवसायिक युग में प्रतिस्पर्धा कभी भी हो सकती है।

भारत में याहू भी बहुत विस्तार लिए हुए हैं पर उसके साथ अभी हिन्दी में काम उस रूप में नहीं किया जा सकता जिस तरह गूगल के साथ किया जा सकता है। मैंने शुरू में याहू में ही ईमेल बनाया था और गूगल में बनाने की सोची भी नहीं थी पर जब एक बार नारद पर ब्लोग देखे तो उनको ढूंढते गूगल पर ईमेल बना लिया। फिर तो उसके ब्लोग में घुसा तो आज तक बना हुआ हूँ। उसका एकाधिकार अगर बना हुआ है तो उसकी वजह यही है कि इसने जो सुविधाएं लिखने के उपलब्ध कराईं है उससे सहजता की अनुभूति होती है। जहाँ तक इसके खुफिया एजेंसी में बदलने की बात है वह चिंता की बात है और इसके लिए तो भारत के सरकारी तकनीकी विशेषज्ञों को चौकस रहना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह अपनी खुफिया जानकारी का उपयोग किस रूप में कर सकता है।
इसके दो रूप हो सकते हैं एक तो अपने समर्थन वाली सरकारों को अपनी विरोधी सरकारों की जानकारी उपलब्ध करना और अपनी जानकारी के आधार पर अपना साम्राज्य बनाए रखना या निजी क्षेत्रों में एक संगठन या व्यक्ति की जानकारी दूसरे संगठन या व्यक्ति को देना-ऐसे में उन लोगों को चौकस रहना होगा जो इस पर काम करते हैं पर उनका इस्तेमाल अगर इससे जुडे किसी व्यक्ति ने असामाजिक गतिविधियों के लिए करने का प्रयास किया तो संकट हो सकता है, आजकल इंटरनेट पर आपराधिक गतिविधियों देखकर लगता है कि उनकी घुसपैठ इसके संगठन ने हो सकती हैं क्योंकि आतंकवादी और अपराधिक संगठन हर संस्था में अपनी घुसपैठ करते हैं-ऐसे में इसके प्रशासनिक और तकनीकी प्रमुखों को अपनी साख बचने के लिए सतर्क रहना होगा-क्योंकि आप कितनी भी अच्छी सुविधाएं दीजिये पर राष्ट्र और समाज के हित नहीं सोचते तो किसी भी काम के नहीं है।
बहरहाल इस रंग बदलती दुनिया में कभी इस गूगल से पाला पडेगा यह सोचा भी नहीं था। इसका प्रभाव जहाँ फलदायी लगता है वहीं डराता भी है। इसके हिन्दी ब्लोग तकलीफ दे रहे हैं और प्रकाशित भी हो राहे हैं। मैं कभी कभी सोचता हूँ कहीं गूगल वाले मुझसे चिढे तो नहीं हुए हैं। जब मैं ऐसे लेख लिखता हूँ तो मेरे पास और भी जानकारी आतीं हैं, और उसमें किसी गूगल के नये टूल का पता लगता है और वह टूल बहुत चमत्कारी होते हैं। पर यहाँ कुछ भी स्थिर नहीं है और हो सकता है गूगल को चुतौती मिलने लगे। अगर गूगल समर्थकों को मेरी कोई बात बुरी लगे तो इसमें मैं जिम्मेदार नहीं हूँ क्योंकि उनके बारे में खबर वह अपने मुख पृष्ठ पर दिखा रहे है और इसके लिए वही जिम्मेदार होंगे। ऊपर की खबर मैं वहीं से कापी कर ले आया हूँ।

3 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत सुंदर जानकारी दी है आपने , ज्ञानवर्धन कर दिया , बधाईयाँ!

राजीव तनेजा said...

जानकारी के लिए धन्यवाद...

Anonymous said...

you can try wikispaces as well
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