चंद पलों की मुलाकात
ज़िंदगी भर का रिश्ता नहीं बनाती,
इंसानों की नीयत और ख्याल
बदलते देर नहीं लगती,
पल भर में मिलने की खुशी
हक़ीक़तों के सामने आते ही होती काफ़ूर
फिर हमेशा सताती।
कहें दीपक बापू
फिर भी बेजुबानों पर भरोसा किया जा सकता है
जुबान वालों का क्या
पल भर में उनकी बात बदल जाती,
किसी की नीयत समझने का दावा करना बेकार है
जो बार बार मतलब देखकर बदल जाती।
-----------------
इश्क में आशिक
आसमान से तारे तोड़ने की
बात कुछ यूं करते हैं,
गोया उसके खरीदने के लिए
ज़मीन पर किस्तें भरते हैं।
कहें दीपक बापू
वादों का क्या
चाहे जब जिससे जितने कर लो,
बस अपना भरोसा किसी के दिल में भर लो,
कहने वालों का क्या
भले बाद में फँसने वाले
वादाखिलाफी पर आहें भरते हैं।
ज़िंदगी भर का रिश्ता नहीं बनाती,
इंसानों की नीयत और ख्याल
बदलते देर नहीं लगती,
पल भर में मिलने की खुशी
हक़ीक़तों के सामने आते ही होती काफ़ूर
फिर हमेशा सताती।
कहें दीपक बापू
फिर भी बेजुबानों पर भरोसा किया जा सकता है
जुबान वालों का क्या
पल भर में उनकी बात बदल जाती,
किसी की नीयत समझने का दावा करना बेकार है
जो बार बार मतलब देखकर बदल जाती।
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इश्क में आशिक
आसमान से तारे तोड़ने की
बात कुछ यूं करते हैं,
गोया उसके खरीदने के लिए
ज़मीन पर किस्तें भरते हैं।
कहें दीपक बापू
वादों का क्या
चाहे जब जिससे जितने कर लो,
बस अपना भरोसा किसी के दिल में भर लो,
कहने वालों का क्या
भले बाद में फँसने वाले
वादाखिलाफी पर आहें भरते हैं।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Bharatdeep, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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