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12/31/13

मनु स्मृति से संदेश-ओम (ॐ) शब्द का जाप स्थाई प्रभाव देने वाला (om shabd ka jap adhik prabhami-message from manu smriti)



            इस संसार में शब्दों का बहुत बड़ा जाल है पर उनमें केवल ओम (ॐ)शब्द ही परब्रह्म परमात्मा की अनुभूति कराता है। हमारे समाज में भौतिक संसार की उपलब्धि के लिये अनेंक प्रकार के कर्मकांड किये जाते हैं।  वेदों में बताये गये साकार तथ सकाम भक्ति के मार्ग पर चलने वाले धर्मभीरु लोग ओम शब्द के अध्यात्मिक महत्व को नहीं समझ पाते।  श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि शब्दों में श्रेष्ठ में ओम (ॐ) शब्द हूं।उसी तरह वह यह भी कहते हैं कि छंदों में  गायत्री  छंद मैं ही हूं।
            ओम के जाप के बाद गायत्री मंत्र का निरंतर जाप किया जाये तो हृदय में एक स्फूर्ति की अनुभूति होती है। आमतौर से ओम शब्द तथा गायत्री शब्द का जाप प्रत्यक्ष रूप से फल भले न ही देते दिखें पर इसे जो अध्यात्मिक लाभ होता है उससे साधक के आंतरिक तथा बाह्य व्यक्तित्व में निखार आता है और वह सांसरिक कर्म में दृढ़ता से लिप्त हो जाता है।

मनुस्मृति में कहा गया है कि
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क्षरन्ति सर्वाः वैदिक्यो जुहोतियजति क्रियाः।
अक्षरं तक्षरं ज्ञेयं ब्रह्म चैव प्रजापतिः।।
            हिन्दी में भावार्थ-वेदों में बताई गयी विधि से हवन और यज्ञ क्रियायें फल देने के बाद अपना प्रभाव खो बैठती है पर ब्रह्म का प्रतिपादक ओम (ॐ)का कभी नाश नहीं होता है।
            संत कबीर दास ने एक दोहा कहा है जिसकी पंिक्त यह है कि न सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा। दरअसल समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग अपना समय सांसरिक विषयों में लित्प रहते हुए बिताता है या फिर उन पर आपसी वार्तालाप कर अपनी वाणी और शब्द बर्बाद करता है।  अनेक जगह तो बिना किसी कारण के विवाद हो जाता है। लोग अकारण ही हिंसा भी कर बैठते हैं।  हमारी इंद्रियों में जीभ का खेल बहुत बड़ा खेल है, इसे बहुत कम लोग जानते हैं। इसका कारण यह है कि अध्यात्मिक ज्ञान पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। हमारी समस्त इंद्रियां व्यथित होने पर बाहर की तरफ व्यक्त होने के लिये तत्पर हो जाती हैं। उन पर नियंत्रण करना आवश्यक है।  ऐसे में तन, मन और हृदय में ओम शब्द का जाप एक ऐसे भाव पैदा करता है जो आत्मनिंयत्रण में सहायक होता है। इसलिये जब कभी खाली समय मिले मुख से या फिर हृदय में ओम (ॐ) शब्द का जाप करना चाहिये।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 

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