जिंदगी का सफर में कई हमराह साथ आ जाते है।
अपने मुकाम पर वह रूकते उनकी याद हम साथ लाते हैं।
कहें दीपक कुछ के चेहरे तो कुछ की अदायें होती अनोखी
उनको भूलना होता कठिन बाकी को भूल जाते हैं।
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जिंदगी की खुशियों को हम बांट लेते हैं,
दर्द के छाये बादल अपनी हमदर्दी
से ही छांट लेते हैं।
कहें दीपक बापू लोग अपनी जिंदगी से ही लाचार हैं
कौन संभाले हमें अपनी गलती पर खुद को ही डांट लेते हैं।
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जिंदगी का सफरनामा जब हम लिखते हैं,
आईने देखते तो अपनी आंखों में ही लाचार दिखते हैं।
कहें दीपक बापू सपने की देखे नहीं इसलिये टूटे नहीं
जमीन पर रखे ख्याल इसलिये पांव वहीं टिकते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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