आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड
में खेली जा रही क्रिकेट प्रतियोगिता को विश्व स्तरीय मानना चाहिये कि
अंतर्राष्ट्रीय! यह प्रश्न हमारे दिमाग में तब आया एक क्रिकेट विशेषज्ञ ने एक
चर्चा में कहा कि इसे विश्व कप कहना ही गलत है, यह ता आठ राष्ट्रों के बीच की स्पर्धा है। उनकी
बात सही लगती है। विश्व कप तो फुटबाल या
हॉकी का ही हो सकता है। हमारे प्रचार
माध्यम अपने व्यवसायिक कारणों से वर्तमान
क्रिकेट प्रतियोगिता को विश्व कप कहकर अपने उपभोक्ताओं को यह अनुभूति
दिलाते हैं कि वह एक विश्व स्तरीय मुकाबले को देख रहे हैं जबकि यह आठ राष्ट्रों
में दो के बीच का होता है। विश्व स्तरीय
खेलों में बैडमिंटन, टेनिस,शतरंज, फुटबाल, हाकी तथा अन्य ऐसे खेल होते हैं जिन्हें अधिकतर देशों में खेला जाता
है। इसमें बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज और हाकी में ही हमारे देश के खिलाड़ियों ने
पहचान बनाई है। कभी फुटबाल में हमारी टीम का नाम था पर अब वहां हमारी छवि लापता
है।
अन्य
खेलों के खिलाड़ियों की चर्चा-जैसे साईना नेहवाल और आनंद-की उसी दिन ही होती है जिस
दिन वहा कोई बड़ा मैच या प्रतियोगिता जीतते हैं।
इसके विपरीत क्रिकेट खिलाड़ियों की चर्चा तो उस दिन भी होती है जिस दिन मैच
न हो। कभी पार्टी तो कभी रैम्प पर नाचते हुए दिखाया जाता है। कभी कभी उनको टीवी
कें जनभागीदारी वाले कार्यक्रमों में भी दिखाया जाता है। एक तरह से क्रिकेट खेल अनेक लोगों की जेब भरने
वाला है इसलिये प्रचार माध्यम इसकी छवि इस तरह बनाये रखते है जैसे कि यह विश्व
स्तरीय हो। हम तो मैच देखते हैं पर यह भ्रम कभी नहीं पालते कि कोई विश्व स्तरीय
मैच देख रहे हैं।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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