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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

5/26/15

अस्पताल और महल-हिन्दी कविता(hospital and palace-poem,asapatal aur mahal-hindi poem)

जिनके पास
मतलबपरस्तों का
कोई दल नहीं है,
जिंदगी की जंग में
वह कभी सफल नहीं है।

जो कर रहे हैं
समाज कल्याण का सौदा
दाम का तय करते मसौदा
दुआयें उनके लिये फल नहीं है।

कहें दीपक बापू सुनते रहो
सफल लोगों का गाथायें
मौन रखो अपनी व्यथायें
अपनी दवा स्वयं ढूंढो
अस्पताल पंच सितारा
बाहर से निहारते रहें
दानदाताओं के महल नहीं हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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