म्यांमार भारतीय सेना ने अभी म्यांमार में
घुसकर उग्रवादियों के शिविरों को नष्ट कर अपने 18 साथियों को मौत का बदला लिया वह प्रशंसनीय है। इसे लेकर
अनेक प्रतिक्रियायें सामने आयी हैं पर एक बात तय है कि आगे भी इस तरह की कार्यवाही
करना ही होंगी तभी भारत की शक्तिशाली देश की छवि बनेगी। भारत के पास एक विशाल पेशेवर सेना है। भारतीय जनता से प्राप्त राजस्व का एक बहुत बड़ा
हिस्सा हथियार खरीदने पर भी किया जाता है। पिछले कुछ समय से पड़ौसी देशों ने भारत
के आंतरिक संघर्षों को आधार बनाकर आतंकवाद का निर्यात बढ़ाया है। लगातार हो रही आतंकी घटनाओं से भारतीय जनमानस
निराशा था पर इस घटना ने यकीनन आत्मविश्वास बढ़ाया है।
उत्तर पूर्व में चीन आतंकवादियों का सहायक है
पर न कभी भारत ने यह आरोप सीधे लगाया न ही प्रचार माध्यमों ने इस पर खोज की।
म्यांमार में कार्यवाही के बाद चीन ने अपना पल्ला झाड़ा है पर यह दिखावा ही लगता
है। अलबत्ता एक बात तय है कि म्यांमार के बाद पाकिस्तान और चीन सहम गये हैं। कुछ विश्लेषक कह रहे हैं कि म्यांमार में घुसकर
कार्यवाही करने की घटना को इतना तूल देना कूटनीतिक गलती है पर हम इसे नहीं मानते।
आज का दौर दूसरा है। शक्तिशाली होना ही
पर्याप्त नहीं है उसका दिखावा करना भी जरूरी है। एक बात हम साफ कर दें कि
पाकिस्तान और चीन ही नहीं वरन् दुनियां के किसी देश में सामरिक ताकत कितनी भी हो
पर सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियां ऐसी नहीं है कि वह लंबा युद्ध कर सके। यही कारण है कि अनेक देश छद्म युद्ध की नीति के
तहत अन्य के विरुद्ध आतंकवाद का प्रायोजन करते हैं। चीन और पाकिस्तान गठजोड़ कर भारत को चुनौती दे
रहे हैं पर अंतर्राष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों मिलकर भी भारत का
कुछ बिगाड़ नहीं सकते। चीन बराबर भारतीय
क्षेत्रों पर वक्र दृष्टि डालता है। वह
भारत से ढेर सारा रुपया कमा रहा है पर मौका पड़ने पर आंख भी दिखाता है। उसकी इस
हुंकार का आधार ही वही आतंकवाद रहा है जिसे वह प्रायोजित करता है। अब उसे अपनी
नीति बदलना होगी।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान इस
कार्यवाही से घबड़ा गया है। इसका कारण यह
कि उसके नेताओं के काले धंधे बड़े आराम से चल रहे हैं। भारत के विरुद्ध आतंकवादी अभियान चलाकर वह अपनी उस जनता का
ध्यान बंटाये रखते हैं जो कि अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। अगर कहीं भारत ने पाकिस्तान में घुसकर
कार्यवाही की तो वहां के नेता अपनी जनता को क्या मुंह दिखायेंगे? उस कार्यवाही के बाद जनता उन पर भारत के
विरुद्ध आक्रामक कार्यवाही का दबाव डालेगी जिसे सहन करना कठिन होगा। कार्यवाही
करते हैं तो बड़े युद्ध की स्थिति उनके लिये ही खतरनाक हो सकती है। मतलब अब दक्षिण
एशिया में यथास्थिति नहीं रहने वाली और उसकी चाहत रखने वालों के लिये अब दोनों
हाथों में लड्डू नहीं रह सकते। इधर आतंकवाद फैलाना उधर कमाना-यह अब ज्यादा नहीं चल
पायेगा। म्यांमार में भारतीय सेना की कार्यवाही एक एतिहासिक घटना है जिसके कालाांतर
में अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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