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9/27/15

आत्मविज्ञापन का युग-हिन्दी कविता(AtmaVigyapan ka Yug-HindiKavita)

आत्मविज्ञापन का युग है
देवता बनो या राक्षस
मशहूर हो जाओगे।

छंद रचो या गद्य लिखो
चाटुकारिता चमका देगी
स्वयं से दूर हो जाओगे।

कहें दीपकबापू आम इंसान से
दूरी पर खड़ा है शिखर
चढ़ गये तो खास कहलाओगे
फिर नीचे आने के डर से
हमेशा घबड़ाओगे।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 
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