घर घर में रोशनी हो
हर गली में चमकती सड़क बनी हो
हर आवासीय क्षेत्र में उद्यान हो
मिल जाये हर जगह शुद्ध पानी,
हर बुद्धिमान ने विकसित समाज की
यही कल्पना सुखद मानी।
कहें दीपक बापू देश के विकास की बातें
बरसों से रोज हम सुनते हैं,
अनेक सपने अपने दिल में बुनते हैं,
इंतजार की कोई अवधि बताता नहीं,
बुरे हालातों के हम हो गये आदी
दर्द अब कोई सताता नहीं,
नये चेहरे नये वादे और नये शब्दों के साथ
पर्दे पर चमकते नज़र आते है,
ज़माने में उम्मीद जगाते हैं,
कभी नहीं बदलता कोई दृश्य
कुछ ही दिन में
हो जाती हमारी इच्छा भी पुरानी।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com
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