समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/23/07

पेड और तूफान

क्रुद्ध तूफान ने पेड से कहा'
तुम भी घास की तरह झुक जाओ
नहीं तो तुम्हें गिरा दूंगा'
पेड ने कहा
'मेरी तुलना में घास क्या है
तुम तो बहुत शक्तिशाली
उसे तो कोई भी कुचल जाता है
कभी बहुत बढ़ जाती तो
आदमी काट देता है
कभी उसे पशु खा जाता है
मैं तो बरसों तक खडा रहता हूँ अविचल
तुम जैसे कई तूफ़ान झेल चुका
तुम्हें भी झेल लूँगा'

तूफान ने कहा
'अब तुम्हारी उम्र नहीं है
जो आये थे मुझ जैसे शक्तिशाली तूफान
तुम युवावस्था में थे अब बूढ़े हो गये हो
इसलिए कहता हूँ झुक जाओ
मैं तुम्हें छोड़ दूंगा '
पेड ने कहा
'मैं जब तक खड़ा हूँ अविचल रहूँगा
पशु और आदमी को शरण देता रहूँगा
घास को जो काटते हैं या खाते हैं
वह भी मेरी छाया पाते हैं
टूट जाऊंगा पर अपने आत्मसम्मान को
आंच भी नहीं आने दूंगा '

तूफ़ान का क्रोध और बढ़ गया
और तेजी से चलने लगा
हवा ने सुनी पेड की बात
पसीज गया उसका दिल और
छोडा तूफ़ान का साथ
कमजोर पड़ गया तूफ़ान
और आगे बढ़ गया
हवा ने दिया पेड को
लंबी उम्र का आशीर्वाद तो उसने कहा
'तुम्हारा कर्जा मैं दूसरों को छाया देकर
अपना कर्तव्य पूरा करते हुए चुका दूंगा'

1 comment:

ऒशॊदीप said...

रचना अच्छी है किन्तु तार्किक दृष्टी से कमजोर है।फिर भी प्रयास अच्छा है।

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें