समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/23/07

भाव, भावना और शब्द

जब हृदय के भाव शब्द बन जाते हैं
तब ऐक तस्वीर की तरह भाते हैं
अपनी भावनाओं को जो समझते हैं
वही उसे शब्दों के सुन्दरता से सजाते हैं
शब्द और भाव का सामंजस्य
इतना आसान नहीं है जितना लगता है
जब भाव होते हैं तब शब्दों के
मस्तिष्क में स्थित भण्डार पर
नजर नहीं जाती
पर जब शब्द लिखने या कहने का मन हो
तब भावों को अपने से परे पाते हैं

हर कहा और बोला गया शब्द
हमारे भावों का प्रतिबिंब कहलाता है
पर जिनको हम समझें
कोई और अर्थ वैसा न समझे
हमारे व्यक्तित्व का स्वरूप
लोगों की दृष्टि में बदल जाता हैं
तोल कर न बोले और कहे शब्द
हमें ही जिन्दगी में उलझाते हैं

जैसे भाव हैं हमारे
वैसे व्यक्त शब्द न हो पायें
तो भी लगता है कि हमने
जो कुछ लिखा और कहा
उससे बात नहीं बनी
अपने ही हृदय की तस्वीर
अस्पष्ट नजर आती है
अव्यक्त भाव धीरे-धीरे
दुर्गन्ध देने लगते हैं
और हम भीड़ में भी
स्वयं को अकेला पाते हैं
खेल सब नियत का है
अपने शब्द और बोलने के
साथ ही उसमें अमरत्व और अमृत का
प्रकट होते देखना चाहते
उसका कोइ अर्थ समझे इसका
इन्तजार नहीं कर पाते
अपने भाव और शब्द जोड़ नहीं पाते
अगर अपने शब्द और भावों को
जोड़ने में धैर्य धारण करें और
सहजता से उनके मिलन का दृश्य
अपने ही अंतर्मन में देखें
तभी अभिव्यक्ति कर पाएंगे
नहीं तो बोलने और लिखने का
मतलब स्वयं ही नहीं समझ पायेंगे
पता नहीं क्यों हम
इतनी बात क्यों नहीं समझ पाते हैं

No comments:

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें