किसी के ख्यालों में खो जाना
किसी के वादों में बहकना
किसी के इरादों के साथ बह जाना
क्या कहलाता है प्यार
जिसमें कुछ पल का भटकने की
सजा भी मिल सकती है
जिन्दगी में हर कदम पर बारंबार
कोई एक पहचान खोये
दूसरा उस पर थोपे अपना नाम
बराबरी की शर्त पूरी
नहीं करता ऐसा प्यार
एक खेलता है
दूसरा देखता है
वासना में लिपटा बदन मचले
कहलाता नहीं प्यार
दिल में भोगने की चाहत पूरी करना
जिस्म में जलती आग बुझाना तो
सभी चाहते हैं
पर त्याग और यकीन पर खरे उतरें
कुछ पाने की चाह न हो
तभी कहलाता है प्यार
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यूँ तो कदम-कदम पर धोखा है
पर प्यार में तो बस धोखा ही धोखा है
जिसे हम प्यार करें
वहा हमसे नहीं करता
जिसे हम नहीं देखना चाहते
वह हमारे लिए मरता
यह दिल भी है क्या चीज
कहीं उम्मीद न हो कुछ मिलने की
वहाँ पानी भरने के लिए भी तैयार
जहां मिलने के लिए सागर हैं
उसे देता धोखा है
इस घूमती दुनिया में
प्यार नाम की चीज है
इसीलिये ही धोखा है
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
1 comment:
पर त्याग और यकीन पर खरे उतरें
कुछ पाने की चाह न हो
तभी कहलाता है प्यार
बहुत सुन्दर ....
यही सत्य है.
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