अपने दिल पर हुए घावों को
हम छिपाएं कब तक
दूसरे के दर्द को सहलाएं कब तक
हमसे पूछते हैं हाल
और अपनी कहानी सुनाने लगते हैं
रुकते नहीं वह हमारे जवाब आने तक
अपने दर्द अधिक है उनको
या सहने की ताकत कम है उनमें
यह तो वही जाने
दर्द इतना है कि छलक जाता है
कि किसी के मिलते ही सब्र का प्याला
या डर लगता है कहीं सामने वाला
लगे न अपने हाल सुनाने
किसी के दर्द का कोई इलाज क्या करे
सुनता कोई किसी की नहीं
सब लगते हैं अपना हाल बताने
भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
*----*
*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
3 comments:
बहुत सही कहा है।
किसी के दर्द का कोई इलाज क्या करे
सुनता कोई किसी की नहीं
सब लगते हैं अपना हाल बताने
वो जो आते हैं और दे जाते है गम सुनाकर अपना
शुक्रगुज़ार हूँ
कि अपनापन दे गए महंगाई के इस ज़माने में
था मलाल भी कि मैं न कह सका कुछ उनको
पर भूल गया सब इक उनके मुस्कुराने में
सप्रेम
संजय गुलाटी मुसाफिर
वास्तव में दिल के घाव शारीरिक घावों से अधिक गहरे होते हैं।
आलोक
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