अपने दिल पर हुए घावों को
हम छिपाएं कब तक
दूसरे के दर्द को सहलाएं कब तक
हमसे पूछते हैं हाल
और अपनी कहानी सुनाने लगते हैं
रुकते नहीं वह हमारे जवाब आने तक
अपने दर्द अधिक है उनको
या सहने की ताकत कम है उनमें
यह तो वही जाने
दर्द इतना है कि छलक जाता है
कि किसी के मिलते ही सब्र का प्याला
या डर लगता है कहीं सामने वाला
लगे न अपने हाल सुनाने
किसी के दर्द का कोई इलाज क्या करे
सुनता कोई किसी की नहीं
सब लगते हैं अपना हाल बताने
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
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*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
5 years ago
3 comments:
बहुत सही कहा है।
किसी के दर्द का कोई इलाज क्या करे
सुनता कोई किसी की नहीं
सब लगते हैं अपना हाल बताने
वो जो आते हैं और दे जाते है गम सुनाकर अपना
शुक्रगुज़ार हूँ
कि अपनापन दे गए महंगाई के इस ज़माने में
था मलाल भी कि मैं न कह सका कुछ उनको
पर भूल गया सब इक उनके मुस्कुराने में
सप्रेम
संजय गुलाटी मुसाफिर
वास्तव में दिल के घाव शारीरिक घावों से अधिक गहरे होते हैं।
आलोक
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