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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

12/12/07

जो ब्लोगर थक रहें हों वह योग साधना शुरू करें

अगर विश्व के वर्तमान हालातों पर दृष्टि डालें तो देखेंगे कई मामलों के हल शांति से हो सकते हैं और लोग आपस में सदभाव के साथ रह सकते हैं पर ऐसा हो नहीं क्योंकि अंहकार के कारण लोग के नहीं हो पाते और उनकी फ़ुट का लाभ स्वार्थी तत्व उठाते हैं। कई बार लगता है कि इतनी अशांति बेवजह है और लोग उसमें लिप्त होकर सुख का अनुभव करते हैं। अगर लोगों की रूचि आध्यात्म में हो तो शायद इससे बचा जा सकता है यही कारण है भारतीय योग सब जगह लोकप्रिय हो रहा है।

विश्व में भारतीय योग विद्या के निरंतर लोकप्रिय होने का ऐक कारण यह भी है कि मानव जीवन धीरे-धीरे प्रकृति से दूर होता जा रहा है और ऎसी वस्तुओं का उपयोग बढ़ता जा रहा है जो हमारे शरीर के लिए तकलीफ देह होतीं है। मैं यहाँ किसी अन्य की बात न करते हुए सीधे कंप्यूटर की बात करूंगा, क्योंकि इसकी वजह से जो भारी शारीरिक और मानसिक हानि पहुंचती है उसकी चर्चा विशेषज्ञ अक्सर करते हैं। इधर मैं कुछ दिनों से ब्लोग लेखकों की निराशाजनक अभिव्यक्ति को भी देख रहा हू। इसलिये मैंने सोचा कि आज यह बात स्पष्ट कर दूं कि अच्छा या बुरा जैसे भी लिख पा रहा हू उसका कारण मेरे द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली योग साधना से मिलने वाली शारीरिक और मानसिक ऊर्जा ही है। हालांकि ब्लोग लेखन की वजह से मेरे कुछ आसन और अवधि कम जरूर हुई है पर ऐक बात साफ देखता हूँ कि इस कम अवधि में भी प्रतिदिन अपने उत्पन्न होने वाले विकारों को निकालने में सफल हो जाता हूँ। जब कंप्यूटर पर आता हूँ तो ऐसा लगता ही नहीं है कि कल मैंने इस पर कुछ काम किया था। ऐसा नहीं है कि मुझे कोई स्मृति दोष है जो भूल जाता हूँ ।
मेरा आशय यह है कि जो थकावट मुझे कल प्राप्त हुई थी उसे भूल चुका होता हूँ और आप में कई लोग होंगे जिन्हे याद होगा कि कल कितना थक गए होंगे, इसका मतलब है कि अब आपको योग साधना शुरू कर देना चाहिऐ। मनुष्य को प्रतिदिन मानसिक और शारीरिक रुप से ताजगी देने के लिए इसके अलावा और भी कोई उपाय है इस पर मैं यकीन नहीं करता। पहले मैं यहाँ स्पष्ट कर दूं कि मैं कोई योग शिक्षक नहीं हूँ और यह योग साधना पिछले साढ़े चार वर्षों से कर रहा हूँ और मेरे गुरू ऐक सरकारी कर्मचारी हैं और बाकायदा पेंट शर्ट पहनकर घूमने वाले आदमी हैं। मतलब यह जरूरी नहीं है कि धार्मिक भगवा धारी संत ही योग साधना सिखाते हैं बल्कि कुछ लोग ऐसे हैं भी हैं जो सामान्य जीवन में रहते हुए भी योग साधना सिखा रहे हैं।

हमारे देश में इस समय बाबा रामदेव ने इसका बहुत प्रचार किया है और उनकी वजह से भारतीय योग को विश्व में बहुत प्रसिद्धि भी मिली है। उनके अलावा भी कई संत हैं जो इसमे अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं, इनमे श्री लाल जीं महाराज भी हैं। इसके अलावा भारतीय योग संस्थान भी इसमे बहुत सक्रिय है और मैंने उनके शिविर में ही योग साधना करना सीखा था। इसकी शाखाए देश में कई स्थानों पर लगतीं है और जो इस लेख को पढ़कर योग साधना करने के इच्छुक हौं वह अगर पता करेंगे तो उन्हें अपने आसपास इससे संबंधित शिविर जरूर मिल जायेंगे। हम टीवी पर संत बाबा रामदेव और श्री लाल महाराज को बहुत समय तक योग साधना कराते हुए देखते हैं तो यह वहम हो जाता है कि सारे आसन कर ही हम अपनी शारीरिक व्याधियों से छुटकारा पा सकते हैं, और दो घंटे का कार्यक्रम करना हमें मुशिकल लगता है। दूसरा यह भी लगता है कि योग केवल व्याधियों से छुटकारा पाने के लिए है और हम तो ठीकठाक हैं फिर क्यों करें। यहाँ मैं स्पष्ट कर दूं कि ऐक तो हम सुबह ज्यादा नहीं तो पन्द्रह मिनट ही प्राणायाम करें तो भी हमें बहुत राहत मिलती है। दूसरा यह कि यह कि योग साधना से शरीर की व्याधिया दूर होती हैं यह ऐक छोटी बात है। वास्तविकता तो यह है जीवन में प्रसन्न रहने का इसके अलावा अन्य कोइ उपाय मैं तो नहीं देखता। यह तो जीवन जीने की कला है। इस ब्लोग पर मैं इसी विषय पर आगे लिखूंगा पर अभी यहाँ बताना जरूरी हैं योगासन से शरीर, प्राणायाम से मन और ध्यान से विचारों के विकार दूर होते हैं।
सुबह उठकर खुली जगह पर कुछ बिछाकर उस पर बैठ जाना चाहिऐ और धीरे-धीरे पेट को पिचकना चाहिऐ और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करना चाहिऐ। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या अन्य कोई बिमारी न हो तो इसी दौरान अन्दर और बाहर कुछ क्षणों के लिए सांस रोक सकते हैं तो यही नाडी शोधन प्राणायाम कहलाता है। जब हम थोडा पेट पिच्कयायेंगे तो ऐसा लगेगा कि हमारे शरीर में रक्तप्रवाह तेज हो रहा है और कुछ देर में आंखों को सुख की अनुभूति होने लगेगी । कंप्यूटर में काम करते हुए हमारे मस्तिष्क और आंखों बहुत कष्ट उठाना पडता है, और केवल निद्रा से उसे राहत नहीं मिल सकती और ना ही सुबह घूमने से कोइ अधिक लाभ हो पाता है। इसके अलावा कम करते हुए कुछ देर ध्यान लगाएं तो भी थकावट दूर हो जाएगी। इस ब्लोग पर मैं आगे भी लिखने का प्रयास करूंगा। इस समय तो बस यही कहना चाहूँगा कि अगर आप कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं तो खुश रहने के लिए योग साधना और ध्यान अवश्य करो -इससे ज्यादा और जल्द लाभ होगा। जो ब्लोगर अपने को थका हुआ अनुभव कर रहे है वह इसे अपनाएं-अधिक नहीं तो सुबह १५ मिनट से आधा घंटे अनुलोम-विलोम प्राणायाम अवश्य करें । इस पर एक लेख कल इसी ब्लोग पर लिखूंगा।
नोट-भारतीय योग संस्थान द्वारा प्रकशित पत्रिका 'योग मंजरी' के ताजा अंक में इस विषय पर मेरा एक लेख 'दीपक राज के नाम से प्रकाशित हुआ है जिन सज्जनों को उपलब्ध हो वह इसे अवश्य पढें।

2 comments:

राजीव तनेजा said...

मन तो कई बार कहता है कि योग अच्ची चीज़ है..करनी चाहिए लेकिन आलस मार जाता है...

अब तो ये आलस छोड योग की ओर जाना ही पडेगा....

रवीन्द्र प्रभात said...

योग से बेहतर और क्या हो सकता है आत्मानुशासन के लिए , आपने बहुत सही लिखा है ब्लोगर के सन्दर्भ में .

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